Monday, January 31, 2011

VIEWS ON GANDHIJI'S MARTYRDOM


हमे फिर से जिंदा करना होगा गांधीजी को

MAHATMA GANDHIJI
           गांधीजी, महात्मा गाँधी, मोहनदास करमचंद गाँधी, बापू, - जब भी इन नामों को सुना व पढ़ा जाता है, तब हर सुनने या पढने वाले के मन - मस्तिष्क पर एक ही छवि छाती है - दुबला-पतला शरीर, एक सफ़ेद धोती, हाथ में लाठी, तेज़ चाल, स्वतंत्रता का विशवास और सत्य एवं अहिंसा का धर्म.
             गांधीजी ने हमे अंग्रेजो की 200 वर्षों की गुलामी से आजादी दिलाई, हमे सत्य का मार्ग दिखाया, अहिंसा का धर्म सिखाया, कर्म की पूजा करना सिखाई, स्वदेशी की राह दिखाई, एक जुट होना सिखाया और दीन-हीन को अपनाना बताया. बदले में हमने उन्हें राष्ट्रपिता बनाया, उनके जन्मदिवस पर राष्ट्रीय अवकाश मनाया, उनके नाम पर मार्ग, पार्क, नगर व भवन बनाये, नोट पर उनकी फोटो लगाई, चोराहों-पार्कों में मूर्ती और दीवारों पर तस्वीर भी लगाई. यहाँ तक की उनके नाम पर योजनायें भी बनाई. लेकिन हमने अपने दिल, दीमाग और कर्म में उनके लिए सच्ची जगह नहीं बनाई.
                गांधीजी ने अपने जीवन में सदा अहिंसा का पाठ पढ़ाया लेकिन हम आज हिंसा के पुजारी बन बैठें हैं. आज भाई-भाई के बीच हिंसा है, बाप-बेटों के बीच हिंसा है, धर्मों और जातियों के बीच हिंसा हैं, भाषायों के लिए हिंसा है, प्रान्तों के लिए हिंसा है, नोटों के लिए हिंसा है, वोटों के लिए हिंसा है, जमीन के लिए हिंसा है, जायदाद के लिए हिंसा है, यहाँ तक की मंदिर व मस्जिद के लिए भी हिंसा है - चारों तरफ बस हिंसा ही हिंसा है. "गांधीजी ने समूचे राष्ट्र की आजादी का हल अहिंसा से निकाल दिया लेकिन हम आजकल हर हल हिंसा से निकाल रहें हैं". बापू ने एकजुट होना सिखाया था लेकिन हम बिखरते जा रहे हैं.
Gandhiji & Nathuram Godse Rare Real Picture Before Gandhiji's Assassination 
(Nathuram Godse shooting Gandhiji)
             गांधीजी ने कहा सदा सत्य बोलो, ईमानदार बनों लेकिन हमारा देश आजकल बेईमानी व भ्रस्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है. छोटी-छोटी बातों पर बड़े-बड़े झूठ बोले जा रहें हैं. बच्चे माँ-बाप से झूठ बोल रहें हैं और नेता वोटरों से. व्यापारी ग्राहकों से झूठ बोल रहें है तो कर्मचारी जनता से. चारों तरफ झूठ, बेईमानी व भ्रस्टाचार के ऊँचे-ऊँचे पहाड़ नज़र आ रहें हैं, जिनके नीचे बापू के सत्य व ईमानदारी अपनाने वाले विचार दबते जा रहे हैं.
            गांधीजी ने कहा सदा सत्य बोलो, ईमानदार बनों लेकिन हमारा देश आजकल बेईमानी व भ्रस्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है. छोटी-छोटी बातों पर बड़े-बड़े झूठ बोले जा रहें हैं. बच्चे माँ-बाप से झूठ बोल रहें हैं और नेता वोटरों से. व्यापारी ग्राहकों से झूठ बोल रहें है तो कर्मचारी जनता से. चारों तरफ झूठ, बेईमानी व भ्रस्टाचार के ऊँचे-ऊँचे पहाड़ नज़र आ रहें हैं, जिनके नीचे बापू के सत्य व ईमानदारी अपनाने वाले विचार दबते जा रहे हैं.

Gandhiji addressing his followers during an independence rally
            गांधीजी ने सदा करम करने की शिक्षा दी लेकिन हम आलसी बन बैठें हैं. हर कोई अपना काम टालने में लगा है. आज का युवा सोचता है "आज करे सो काल कर, काल करे सो परसों". देश के हर क्षेत्र में व हर वर्ग में आज आलस्य अपने पाँव पसारता जा रहा है. "शायद इसी आलस्य के कारण हम आजादी के लगभग 63 वर्षों बाद भी विकासशील देश ही हैं - विकसित नहीं".   
            गांधीजी ने हमेशा कहा की स्वदेशी अपनाओ लेकिन हम आज विदेशी के पीछे पागल हैं. स्वदेशी वस्त्र, वस्तुएं, विचार, कला, संस्कृति - यहाँ तक की रिश्तों से भी हम दूर भाग रहे हैं. आज स्वदेशी विचारों व संस्कृति वालें "बेकवार्ड" हैं और विदेशी विचारों और संस्कृति वाले "फॉरवर्ड व मॉडर्न" हैं. आज हम - "MG (Mahatma Gandhi) की जगह MJ (Michael Jackson)  के दीवाने हैं". 
            आज हम गांधीजी के विचारों को गांधीगिरी कह रहें हैं, एक फिल्म देख कर कुछ दिनों तक गांधीगिरी भी की  - लेकिन गांधीजी के जीवन विचारों को समझकर उनकी राह नहीं चुनी. "आज बापू को पढने वालें व उनके बारें में लिखने वालें बहुत मिल जायेंगे, लेकिन उनको समझने व अपनाने वाले बहुत कम मिलेंगे.
            हम एक दिन में कहीं बार गांधीजी को कहीं न कहीं देखते हैं. जैसे की पार्कों-चोराहों पर उनकी मूर्ती के रूप में, दीवारों पर लगी उनकी तस्वीरों में, 5-10-20-50-100-500-1000 के नोटों में. लेकिन हम उनके विचारों व आदर्शों को नहीं देख पा रहें हैं. "गांधीजी ने जिस सुखी, समृद्ध, सफल व खुशहाल हिन्दुस्तान का सपना देखा था - वह हिंदुस्तान कहीं गम होता जा रहा है". आज के हिंदुस्तान की हालत को देखकर गांधीजी की आत्मा को दुःख और पीड़ा दोनों की अनुभूति जरूर होती होगी. 

Gandhiji - Father of our Nation
Gandhiji as always Spreading Smiles and Happiness.
            











        बापू की पुण्यतिथि पर 2 मिनट का औपचारिक मौन रखने भर से ही उनकी आत्मा को शान्ति नहीं मिलेगी, अपितु हमें उनके बताये हुए मार्ग पर चलना होगा, उनके आदर्शों व विचारों को अपने जीवन में व कर्म में उतारना होगा. उनके सपनों के समाज व हिन्दुस्तान का निर्माण करना होगा. तभी हम उस महात्मा को सच्ची श्रधांजलि दे पायेंगें. अंत में यही प्रार्थना को दोहराना चाहूँगा जो गांधीजी दोहराया करते थे - 

"रघुपति राघव राजाराम, पतितपावन सीताराम !
इश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको संमद्धि दे भगवन !!"

- साकेत गर्ग

Twitter: @saketgargSG
Facebook: fb.com/sketgarg

4 comments:

  1. Anonymous5/4/11

    Saket Bhai,
    Really touching, we have really 4get gandhiji.

    Jeevan

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  2. Anonymous5/4/11

    sirf kehne ya likhne se kaam nahi chalega, kuch karna bhi padega, tabhi desh bachega.
    from
    Dayal (Naraina)

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  3. Anonymous5/4/11

    good to see that a young person like you is taking an initiative to atleast write about GandhiJi
    good work.
    -NIRMAL-

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  4. nice attempt.. creative...

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