बीबीसी की निर्भया रेप केस पर बनायीं गयी विवादित डॉक्यूमेंट्री फिल्म पर एक भारतीय के विचार
आज फेसबुक पर मैंने फिल्म डायरेक्टर धर्मेश दर्शन की एक पोस्ट Glycerine Tears पढ़ी। उनकी पोस्ट बीबीसी की निर्भया केस पर बनी डॉक्यूमेंट्री India's Daughter पर थी। एक और बॉलीवुड का एक तथाकथित इंटेलेक्चुअल वर्ग इस डॉक्यूमेंट्री को सही ठहराने पर आमदा है, वंही इस फिल्मकार ने अपने दिल की आवाज़ को और अपने भारतीय होने के गर्व को ज़्यादा तव्वजो देना बेहतर समझा। इस पोस्ट में धर्मेश दर्शन ने हॉलीवुड और बॉलीवुड दोनों फिल्म इंडस्ट्रीज की कड़वी सच्चाई - "प्रॉफिट मेकिंग एट एनी कॉस्ट" और "क्रिएटिंग सेंसेशन एट एनी कॉस्ट" पर एक जोरदार प्रहार किया है। यहाँ एक फिल्मकार होने के नाते उनकी खुद के कार्यक्षेत्र के गिरते स्तर के प्रति संवेदना साफ़ समझी जा सकती है। आखिर, बाकी फिल्म-मेकर इतना साहस क्यों नहीं दिखा पाते ?
सही ही लिखा है दर्शन ने की, "हो सकता है आने वाले कुछ दिनों में कोई हॉलीवुड फिल्ममेकर निर्भया रेप केस या बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री पर फिल्म बनाता नज़र आये।" और उस फिल्म में भी भारत को एक विलियन के रूप में, एक दीन-हीन देश के रूप में ही दिखाया जाये। मैं दर्शन की बात से पूर्णतया सहमत हूँ। उन्होंने बाकी बॉलीवुड वालों की तरह अंधी दौड़ में शामिल न होकर, अपने आप को झूठा इंटेलेक्चुअल न दिखाकर, अपने दिल का साथ दिया। पूर्व में भी हॉलीवुड की कईं फिल्मो में भारत को ऐसा दिखाया भी जा चुका है। साथ ही, इसमें भी कोई आश्चार्य नहीं होगा यदि वो फिल्म भी "स्लमडॉग मिलियनेयर" की ही तरह कई ऑस्कर अवॉर्ड जीत जाये। और हमारी सम्पूर्ण फिल्म इंडस्ट्री और तथाकथित इंटेलेक्चुअल लोग उसे एक मास्टर-पीस घोषित कर, हॉलीवुड की खुशामद में "जय हो, जय हो" करते नज़र आये।
Citizens protesting after 16 December Rape Case in Delhi |
कल जब मैं एक सभा में इसी विषय पर तर्क-वितर्क कर रहा था तभी एक सज्जन ने मुझसे पूछा "मिस्टर साकेत गर्ग क्या आपने यह डॉक्यूमेंट्री देखी है और यदि नहीं देखी तो इसे बुरा मत कहिये।" हाँ, मैंने बीबीसी की यह विवादित डॉक्यूमेंट्री नहीं देखी है। फिर मैं इससे असहमत कैसे हो सकता हूँ? ठहरिये, इसका जवाब भी मेरे पास है-
पहला तो यह की, इस डॉक्यूमेंट्री को बनाने की आज्ञा लेते वक़्त जिन शर्तो पर रज़ामंदी दी गयी थी, उन शर्तों का खुल्ला उलंघन किया गया है और यह मैं नहीं बल्कि मीडिया में आ रही रिपोर्ट्स और सरकारी सूत्रों ने कहा है। अब भला जिस चीज़ की बुनियाद ही धोखे और झूट पर रखी गयी हो, क्या वो आपको और मुझे सच दिखा सकती है।
दूसरा जवाब, हमारे देश की न्यायपालिका व संविधान ने जिस चीज़ पर प्रतिबंध लगाया है, क्या वो चीज़ आपके और हमारे देश के हित में हो सकती है ? यदि आपका जवाब हाँ है, तो क्या आपको अपने ही देश की न्यायपालिका और संविधान पर भरोसा नहीं है।
तीसरा जवाब, उस भयानक रात को उन दरिंदो के साथ बहादुरी से लड़ने वाले निर्भया के दोस्त पांडे ने भी (मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार) इस डॉक्यूमेंट्री को 'बायस्ड' कहा है। उन्होंने इस डॉक्यूमेंट्री के ज्यादातर कंटेंट को 'फेक' बताया है और कहा है की यह 'कॉन्ट्रोवर्सी' और 'सनसनी' फ़ैलाने के लिए बनायीं गयी है। अब जो व्यक्ति अपनी दोस्त को दरिंदो और हत्यारों से बचाने के लिए लड़ता रहा, वो सच्चा हुआ या वो विदेशी डॉक्यूमेंट्री फिल्म-मेकर, बताइये। यह भी न भूलें की सिर्फ वे और पीड़ित (निर्भया) ही इस मामले की सच्चाई जानते हैं।
कहीं यह डॉक्यूमेंट्री भारत की साख और भारतीय समाज के खिलाफ एक साज़िश तो नहीं है? क्योंकि इसकी रिलीज़ के बाद ही, लगातार दो घटनायें मैंने ऐसी पढ़ी है, जो सीधे तौर पर भारत के लिए, आपके और मेरे लिए खतरनाक है। पहली घटना में एक विदेशी कॉलेज में एक भारतीय छात्र को एडमिशन नहीं दिया गया और कारण बताया गया "इंडिया की रेप प्रॉब्लम"। दूसरी घटना में कुवैत के एक अखबार ने अपने मुख्य पृष्ठ पर एक खबर हेडलाइंस में छापी है, जिसमे कहा गया है की "भारत के ज़्यादातर लोगों की सोच ही ऐसी है"। क्या आप इन दोनों घटनाओं से, इनके विचारों से सहमत हैं ?
क्या इस डॉक्यूमेंट्री में दिखाई गयी उस आरोपी की सोच हर भारतीय की सोच है ? क्या ऐसी सोच वाले लोग विदेशों और खासकर की इंगलैंड में नहीं है ?
साथ ही, ज़रा विदेशों और इस डॉक्यूमेंट्री के जनक यूरोप में हो रहे बलात्कार के आंकड़े भी देख लेवें। एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश नागरिकों ने जो रेप के केस रिपोर्ट किये हैं, उनमे भारत के मुकाबले कई दूसरे विदेशी और खासकर उनके ही यूरोपीय देश कई आगे हैं। क्या बीबीसी को वहां ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है?
खैर अंत में, परम पिता परमेश्वर से यही प्रार्थना करना चाहूँगा की वे भारत की इस बहादुर बेटी की आत्मा को शांति दें और हमें इतनी समझ दें की हम उस आत्मा की भावनाओ के साथ अब तो कम से कम खेलना बंद कर दें । जय हिन्द !
- साकेत गर्ग
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kya sateek nishana mara hai apne
ReplyDeleteNice
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